8 Jan 2013

Talk out of your heart


दिल की बात आने दो कभी जुबान तक



दिल की बात आने दो कभी जुबान तक
न करो बंद उसे तुम किसी भी ताले मे 
नाहक होगा कोई अपना परेसान इससे
चाहता वो तुम्हें दिलोजान से है 
कर उसकी चाहत की कद्र ऐ बेरहम 
मरहम ना सही हंसी के दो बोल तो दे
उसकी चाहत का गर ना हो एतबार तुझे 
उतर तू उसके दिल की गहराईयों मे 
सोचता तुझे ही है वो हरपल हर दिन 
रातें उसकी कटती हैं करवटें बदल 
गर ना आती तू उसके सपनों मे 
दिन मे अपना दीदार तो दे उसे 
दिल ही है उसका कोई शीशा नहीं है 
जो चिपका देगी फेविकोल से तू 
तेरी सूरत को मन-मंदिर मे लिए 
कर रहम बुलडोजर ना चला मंदिर पर 
टूट कर बिखरेगा वो ऐसे ऐ जालिम 
अंदाजा नहीं है तुझे उसके प्यार का 
गर ना करती तू प्यार उससे कभी 
दो हंसी की ठिठोली से क्या जाएगा तेरा
उसकी खुशी तो छिपी तेरे हंसी मे है 
कुछ न कर बस मुस्कुरा दे एक बार 
तेरी मुस्कुराहट पर वार दे वो सारी दुनिया 
एक बार उसका हाथ थाम कर तो देख 
ना तोड़ सकता वो चाँद-सितारे मगर 
खुशियों की बहार बिछा देगा तेरे राह में
अपने आँचल को जरा लहरा कर तो देख 
साँसे उसकी ना थम जाएँ तो कहना 
बालों को यूं अपने जुड़े मे ना बांध जालिम 
खुले बालों मे तू लगती कमाल है 
पलकें अपनी ना झपका तू बार-बार 
कोई बंद है इन पलकों मे ख्याल तो रख
अपने गुलाबी अधरों को यूँ ना बंद रख
मोतियों को देखने को मचलता है कोई 
सुराहीदार गर्दन को जरा पीछे तो घूमा
कोई गिरा है राह मे तेरे तुझे देखते हुए 
चाहता तुझे है वो अपनी जान से ज्यादा
उसकी चाहत को स्वीकार तो कर तू 



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