26 Jul 2012

आसाम मतलब दूसरा कश्मीर



ऐसा कहा जा रहा है की आसाम में करीब ५०० गाँव जला दिए गए हैं और पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं|


५०० गाँव जले और केवल ३२ मौतें ये आंकड़ा कुछ गले से नहीं उतरता है जबकि सेना का कहना है की कई जगहों से उन लोगो ने १०-१५ लाशें एक साथ निकाली हैं| जहाँ प्रत्यक्षदर्शी २०० के आस-पास की मौतों की पुष्टि कर रहे हैं वही सरकार तो छोडिये सरकार की वक्ता मीडिया केवल ३२ मौतें दिखा अपने कार्य की इतिश्री कर लिए| 

अब इस पर अंधी-गूंगी-भांड मीडिया का कहना है की बोडो डोमिनेटेड गाँव थे ये| और गैर बोड़ोज ने जलाया| ऐसा हर जगह के दंगे में होता है की हिन्दू शब्द का तो धड़ल्ले से उपयोग होता है लेकिन मुसलमान कहने में इन हरामखोर मीडिया वालों की नानी या अम्मी मरने लगती है| क्या इन कुत्तों को ये नहीं पता है की ये नंगानाच करने वाले और कोई नहीं बल्कि कांग्रेस नाम की खजुहट के द्वारा बसाये गए महान बंगलादेशी कुत्ते हैं जो इन मीडिया वालों की अम्मी कांग्रेस को वोट देते हैं|

अब मीडिया के सम्राट कहे जाने वाले राजदीप सरदेसाई को ही लीजिये उन्होंने ने तो बड़ी बेबाकी से अपने जीजाओं का पक्ष लेते हुए ट्विटर पर साफ़-साफ़ लहजे में कह दिया था की जब तक आसाम में १००० हिन्दू नहीं मर जाते हैं तब तक इनका चैनल इस न्यूज़ को नहीं दिखायेगा क्यूंकि गुजरात में १००० लोग मरे थे लेकिन यहाँ भी इस चाटुकार दलाल ने गोधरा नहीं भौंका और नाही दिल्ली का कत्लेआम क्यूंकि इसकी अम्मा इसकी पगार बंद कर देगी जो इस दल्ले के घर पर इसको मिठाई के कार्टून में भेजी जाती है|

अब तरुण गगोई तो इससे भी आगे निकल कर कह रहे हैं की ये दंगे थोड़े समय के लिए हैं अस्थाई हैं....अब जरा कोई इस हरामखोर से पूछे की स्थाई और अस्थाई दंगे में भेद क्या है और ये दंगा हुआ क्यूँ? इस खजुहट ने तो यहाँ तक कहा की केवल ३०००० हिन्दू ही तो विस्थापित हुए हैं जबकि एक क्षेत्रीय अख़बार की माने तो १,३०,००० और क्षेत्रीय लोगों की मानें तो करीब २,००,००० से भी ज्यादा हिन्दू शरणार्थी शिविरों में रहने को बाध्य हैं| मतलब दूसरा कश्मीर|

अब जहाँ तक सुनने में आ रहा है की जब बोड़ोज पुराने अलगाववादी बोड़ोज के साथ मिल कर इन बंगलादेशी और कांग्रेस पोषित कुत्तों को मारने लगे तो खजुहट कांग्रेस ने तुरंत अपने दामादों की रक्षा के लिए अतिरिक्त १५०० सेना के जवानों को भेज दिया आसाम| जब बोड़ोज मारे जा रहे थे तब क्या १० जनपथ में मिठाई बंट रही थी| और अब बोड़ोज की द्वारा अपने दामादों और जीजाओं की कटाई से दुखित पुरे "युपिए" के मुस्लिम नेता सांसद रहमानी के नेतृत्व में अघोषित प्रधानमंत्री और बंगलादेशी कुत्तों की सास सोनिया और ससुर अहमद पटेल से मिलने आ रहे हैं|

25 Jul 2012

पुरनकी कांग्रेस मर गइल आ ई चुतिया आ गईलअ सन!!!


पैसा लोगो से क्या क्या न करवाए!
सुनिए गाँव के दो दोस्तों की बातें हमारे कांग्रेस के बारे में....
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का कहत हो भैया?
अरे तब का भइयो देखे नाही का की कैसे हमार चुनिया आ उनके दुनो मुनिया बाकि के झुनिया के संगे मिली के कैसे दुनिया (भारत) के चुना लगाय देह लस|

अरे चल भईवो एतना ता चलबे करी|

अरे का कहा तारअ ए दादा अरे इन्हनी के जाती देख ये भाई ई पईसा के खातिर ता कुछवु कई जईहन स|

अरे नाही भाई अइसन जनी कहअ!

अरे भक बुडबक देख कैसे चुनियावा लुट लिह लस देश के पतोह (बहु) बनी के आ अब ए कर पोसल पिल्ला ता देश के ऐसे बर्बाद करे पर लागल बाड सन की पुछअ मत...अभी तक ता ई कोंग्रेसी बुलु फिलिम बनावट रहला हा सन लेकिन अब ता इन्हनी के एकरो से आगे निकल गईला सन अब इन्हनी के देश के लईकन के नशा करावत बाड़ा सन...एगो ए चुनियावा के पार्टी के छत्तीसगढ़ के नेता उमाशंकर श्रीवास्तव ता गांजा बेचा ता भाई आ उहो एक-आध पुडिया ना बाकि सीधा ७ किलो...मरदे किलो के हिसाब से ई कांग्रेसी ससुरा नासा बेचअ तारअ सन...आ ई ज कांग्रेसी पर पहिला केस नइखे ई कांग्रेसी एकरा पाहिले भी कईगो इसने केस में पकड़ा चुकल बा!!!

ए भाई हम ता समझत रहिना हां की ई कांग्रेसे हमनी के आज़ादी दिलौले रहे ता हम एकरा के सपोर्ट करत रहनी हा....लेकिन बुझाता की पुरनकी कांग्रेस मर गइल आ ई चुतिया आ गईलअ सन!!! अब एकरा के कबो भी हम वोट ना देब बल्कि हम खाली सही आदमी के वोट देब...नरेन्द्र मोदी भाई के!!!



24 Jul 2012

असाम के कई इलाकों में फहरा पाकिस्तानी झंडा



कांग्रेसियों और सेक्युलरों के गाल पर के झन्नाटेदार तमाचा===========================


अरे भाई हुआ क्या?

अरे भाई बंगलादेशी पुरे भारत और सबसे ज्यादा असाम में भरते जा रहे हैं!

अरे तो क्या हो गया ये बेचारे बंगलादेश में बिना घर के हो गए हैं इन्हें आसरा देना हमारा कर्त्तव्य बनता है आखिर ये अखंड भारत के ही तो अंग थे|

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अरे ज्यादा कुछ नहीं असाम में दंगा हो गया है और हिन्दू पलायित हो रहे हैं जैसे कश्मीर से हुए!

अरे ये तो कुछ भटके हुए हैं जो ऐसा काम कर रहे हैं उनको बुरा-भला मत बोलो हमें प्यार से रहना चाहिए इनके साथ|

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अरे असाम के भुक्तभोगियों का कहना है की वहां ये जो आपके भटके हुए मुल्ले हैं वो बंगलादेशी मुसलमानों के साथ मिल कर अत्याधुनिक हथियारों के साथ इन निहत्थे हिन्दुओं पर हमला कर दिया और इन लोगो का शक है की ये हुजी आतंकी संगठन का काम है और पुलिस ने भी इन हिन्दुओं की कोई मदद नहीं की!

अरे मत ध्यान दो इस पर सब बकवास है ऐसा कुछ नहीं है छोटा-मोटा झगडा है सुलझा लिया जायेगा तुम चिंता बहुत करते हो| हम हिंदुस्तान में रहते हैं सभी भाई बंधू हैं और हिन्दू धर्म को सहिष्णुता के साथ रहना चाहिए इन लोगों के साथ ये अल्प संख्यक हैं|

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अरे गजब हो गया गुरु आपके ये भटके हुए, बेघर और बेचारे मुसलमानों ने असाम में कई जगह बोले तो सोनारिपारा, मोहनपुर गाँव, कलाए गाँव में पाकिस्तानी झंडा फहरा दिया है....ये क्या कर रहे हैं आपके मेहमान महाशय!

अरे मैंने तो अभी ये न्यूज़ देखि ही नहीं है....ऐसा नहीं हुआ होगा जरुर ये कोई हमारे अन्दर के लोगों की चाल होगी! हमारे हिन्दू भाइयों ने हमारा ध्यान खींचने के लिए किया होगा....मैं पता करके आता हूँ|

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वो तो सो गए....अब क्या होगा....कोई है क्या भाई इसके बारे में बताने वाला.....कोई मुझ लाचार पर दया दिखा दो और बता दो की ये हो क्या रहा है और कौन कर रहा है और क्यूँ कर रहा है उसको क्या मिलने वाला है !!!



23 Jul 2012

बरेली दंगा: भटके हुए मुसलमानों को मिला मुहतोड़ जवाब



रमजान के पवित्र कहे जाने वाले महीने में बरेली जनपद में रमजान रखे कुछ भटके हुओं ने शुरू किया दंगा|

ये सर्व विदित है की शिव भक्त कांवड़ीये जब भी चलते हैं वो जयकारा लगते हुए और शिव के गाने की धुन को सुनते हुए चलते हैं| यही होता आ रहा था उत्तर प्रदेश में लेकिन जैसे ही इन शिव भक्तों की टोली शाहबाद मस्जिद के पास पहुंची वैसे ही वहां के कुछ भटके हुए मुसलमानों को परेशानी हो गई और शिव नारा लगाने और शिव धुन वाले गाने बंद करने को कहने लगे जैसे इनको हमेसा से हिन्दुओं के त्योहारों से परेशानी चली आती रही है|  शिव भक्तों ने भी मना कर दिया और कुछ भटके हुए मुसलमानों ने जो कुछ समय पहले रोजा तोड़ शाम का खाना खा कर तरोताजा हुए थे ने वहां पर हंगामा मचा दिया | लेकिन कुछ बुद्धजीवियों के द्वारा बिच-बचाव करने से वहां झगडा टल गया|

लेकिन जैसे ही वो शिव भक्त वहां से आगे बढे और "मठ की चौकी" पहुंचे वैसे ही फिर से कुछ भटके हुए मुसलमानों ने पुनः उन्हें घेर कर पथराव शुरू कर दिया| इस पथराव में तक़रीबन २५ शिव भक्त हिन्दू गंभीर रूप से घायल हो गए और जैसा की वहां के प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं लेकिन किसी भी मीडिया में इसकी पुष्टि नहीं हुई है की "एक शिव भक्त हिन्दू का हाथ भी काट दिया है भटके हुए मुसलमानों ने|" जो भी गंगा का पवित्र जल लाया था शिव भक्त हिन्दुओं ने वो सभी उस समय हुडदंग मचा कर इन भटके हुए मुसलमानों ने बिखेर दिया ताकि वो जल ये शिव भक्त शंकर भगवन पर न चढ़ा सकें|

अब मठ की चौकी पर बवाल काटने के बाद इन भटके हुए मुसलमानों का मनोबल बढ़ गया और इन्होने "सहामत गंज" के हिन्दुओं पर धावा बोल दिया| वहां पर पुलिस चौकी मौजूद थी अतः वहां की पुलिस इनको रोकने लिए आगे आई लेकिन मुसलमानों की संख्या इतनी ज्यादा थी की उन्होंने ने पुलिस को दौड़ा लिया और साथ ही गोलियां भी चला रहे थे ये पुलिस पर जिसमे एसपि समेत कई पुलिस वाले बुरी तरह जख्मी हो गए| इतना होने के बाद भी की पुलिस वालों की जान खतरे में है वहां के एसडीएम् साहब खड़े हो कर देख रहे थे और पिएसी को उसका काम करने से रोक रहे थे| लेकिन हालात इतने बदल गए की लाठी चार्ज से कुछ नहीं होने वाला था तब पिएसी के जवान बार-बार एसडीएम् से गोली चलने का आदेश मांग रहे थे लेकिन आदेश नहीं मिल रहा था और वहां मुसलमान सारी चीजें फूंकते हुए अब पुलिस चौकी तक को फूंकने आ पहुंचे तथा बराबर गोलियां चलाये जा रहे थे तब जा कर पिएसी के जवानों ने एसडीएम् से कहा की हम वापस जा रहे हैं और आगे की स्थिति की जिम्मेदार आप होंगे| तब जाकर अपनी गर्दन फंसते देख एसडीएम् ने गोली चलाने का आदेश दिया| पुलिस और पिएसी की गोली चलाने से इन भटके हुए मुसलमानों में मीडिया और सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से एक मारा गया पर प्रत्यक्षदर्शियों के हिसाब से कम से कम ५ भटके हुए दंगा-रत भटके हुए मुसलमान मरे| लेकिन मरने से पहले इन भटके हुए मुसलमानों ने अपना बहादुरी वाला कार्य कर दिया था की सो रहे कुछ हिन्दुओं के घरों और दुकानों को आग लगा दिया था तथा कुछ कमजोर घरों में घुस कर वहां की महिलाओं के साथ वही अपना चिर-परिचित घिनौना आचरण किया यानि उन महिलाओं के साथ अशिष्ट और न कह सकने वाली शर्मनाक हरकत करी इन भटके हुए मुसलमानों ने।

लेकिन ५ लोगों के मरने और गोली चलने के बाद भी इन भटके हुए मुसलमानों की तादाद इतनी ज्यादा थी की पुलिस को वहां कालीबाड़ी के हिन्दुओं से सहायता मांगनी पड़ी| तब कालीबाड़ी का हर हिन्दू पुलिस और प्रशासन तथा राष्ट्रीय सम्पदा (पुलिस चौकी) को कोई हानी न हो इसके लिए आगे आ गया और उन भटके हुए मुसलमानों को उनके दडबे में खदेड़ आया| हिन्दुओं के इस सहिष्णु कार्य के लिए वहां उपस्थित पुलिस और पिएसी ने उनका धन्यवाद दिया|

रात भर उसके बाद छिटपुट घटनाएँ होती रहीं पुरे उस दंगा प्रभावित क्षेत्र में|  और साथ ही वहां कर्फ्यू भी लगा था| लेकिन आज तडके स्थिति बिगड़ गई जब उस क्षेत्र के शिव भक्त लौटे और उनको बीती रात की घटना की जानकारी हुई| अब चूँकि ऐसी ही घटना २ साल पहले भी हुई थी जिसमे इन भटके हुए मुसलमानों ने कई हिन्दुओं के घर जला दिए थे और उसमे करोडो की क्षति उठानी पड़ी थी हिन्दू भाइयों को| और जैसा सामने आया की सारे बरेली के लोग हाल ही के कोसीकलां और प्रतापगढ़ की घटनाओं को अच्छे से देख और समझ चुके थे| इन क्षेत्रों में भटके हुए मुसलमानों के द्वारा की गई नंगी नाच से ये अच्छे से वाकिफ थे| तथा प्रशासन के तरफ से हाल के उत्तर प्रदेश के कोसीकलां और प्रतापगढ़ के दंगे में किये गए सराहनीय (निंदनीय) प्रदर्शन को भी देख चुके थे|

अब इन थके हारे आये शिव भक्तो में गुस्सा बढ़ा जो की लाजमी था और इन्होने  स्टेडियम मोड़ पर स्थित मस्जिद और साथ ही एक और मस्जिद को आग के हवाले कर दिया| साथ ही जो पिछले दंगे के नायक रहे थे और उस समय के दंगे के भटके हुए, एक भटके हुए मुसलमान नेता सादिक जी, उनका और उनके रिश्तेदारों का दुकान फूंक दिया गया क्यूंकि इस दंगे में भी ये थोडा भटका रहे थे भटके हुवों को|

अब चूँकि बीती रात को भटके हुए मुसलमानों की भीड़ ने सहामत गंज में लूट-पाट मचा रखी थी तो आज दिन में जोगिनवारा में इन भटके हुए मुसलमानों की दुकाने लूट ली गईं| क्यूंकि प्रकृति का नियम है की संतुलन बना रहना चाहिए|

अब एक सवाल उठता है की जो कुछ शिव भक्त पहले त्रिशूल लेकर चलते थे जल भरने उन्हें इस बार त्रिशूल ले जाने पर  लगा दिया था इस मौलाना मुलायम सिंह यादव की सरकार ने। तो क्या यहाँ एक शक की सुई ये नहीं उठती है की क्या ये दंगा पूर्व प्रायोजित था?

ये खबर हमारे एक बरेली के फेसबुक हिन्दू मित्र द्वारा दी हुई है| चूँकि इस समय सारे शांतिप्रिय लोग नजरबन्द हो गए हैं अपने घरों में और हमारे मित्र का इन्टरनेट काम नहीं कर रहा था तो उन्होंने सारी घटना मुझे बताई और मैं आप लोगो तक पहुंचा रहा हूँ|


१९८४ में दिल्ली में कुछ हुआ था क्या?

जब मैं ६ महीने का हुआ था तभी हुआ एक दंगा वो भी देश की राजधानी में और अब २८ साल होने को आये लेकिन किसी भी दंगा पीड़ित को न्याय नहीं मिला बल्कि इसके उलट दंगा भड़काने वाले को भारत रत्न से सम्मानित किया गया| श श श श श श ........ इस दंगे के बारे में बात करना मना है क्युकी इस दंगे के कसूरवार, भारत, माफ़ करियेगा इंडिया के अघोषित राज परिवार वाले हैं| महामहिम स्वर्गीय राजीव गाँधी जी (नाम तो याद ही होगा)|



गुजरात दंगे पर १० सालों तक अनवरत अपना फटा ढोल पीटने वाले सेक्युलर भांडों और मीडिया के दलालों को शायद देश के अन्य दंगो के बारे में बात करना पसंद नहीं है| क्युकी अगर ये दलाल बाकि के दंगों पर बात करेंगे तो उनकी दलाली का पैसा मिलना बंद हो जायेगा|

क्या अपने किसी को देखा है की वो कभी भी १९८४ के दिल्ली के दंगे के बारे में बात करता मिला हो? दिल्ली सिख-हिन्दू का दंगा जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री ने भड़काया वो एक भीड़ का उन्माद हो गया और गोधरा में राम भक्तों को जलाना एक भटके हुए मुसलमानों की गलती पर वही गोधरा कांड के बाद भड़का गुजरात दंगा मोदी जी द्वारा भड़काया हुआ एक सामूहिक हत्याकांड|

भारत में १९५० से लेकर १९९५ तक में छोटे बड़े मिला कर ११९४ दंगे हुए पर जो दिल्ली में ३१ अक्तूबर १९८४ को इंदिरा गाँधी के मरने के बाद दंगा चला वो अब तक का सबसे वीभत्स सामूहिक हत्याकांड था| ये वीभत्स हत्याकांड उस जनसमूह के साथ हुआ था जिसने कुछ समय पहले देश के बंटवारे का दंश झेला था लेकिन किसी ने उस जन समूह की सुध नहीं ली थी तथा यही जन समूह जिसे हम सिख कहते हैं भारतीय सेना में सबसे ज्यादा बढ़ चढ़ कर आते हैं और इनके नाम से सिख रेजिमेंट तक है जिसने एक समय भारत की सीमा को लाहौर तक खिंच दिया था|

जब ३१ अक्तूबर १९८४ को इंदिरा गाँधी मरी तब सिखों की छिटपुट हत्याएं हुई पर यहाँ भारतीय मीडिया ने ऐसा फर्ज अदा किया अपना जिसने करीब ३००० सिख भाइयों की बलि ले ली और कितने ही सिख भाई दंगे के बाद मिले नहीं| इंदिरा गाँधी के मरने के बाद दूरदर्शन ने राजीव गाँधी का साक्क्षातकार लिया उस समय हो रही छिटपुट सिखों की हत्यायों पर जिसमे राजीव गाँधी ने कहा की "जब एक बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिल जाती है और छोटे पौधे कुचल जाते हैं|" एक प्रधानमंत्री के द्वारा दिया गया ये अब तक का सबसे शर्मनाक बयान था और इस बयान ने इस छिटपुट हो रही हत्यायों को एक वीभत्स सामूहिक हत्याकांड में तब्दील कर दिया क्यूंकि देश का तत्कालीन प्रधानमंत्री यही चाहता था|

राजीव गाँधी के इस बयान से कुछ २ टेक की औकात वाले नेताओं को कमाने का और राजीव गाँधी के सानिध्य में आने का मौका दिख गया| इसमें थे सांसद "सज्जन कुमार", तत्कालीन कैबिनेट मंत्री "जगदीश टाइटलर", तत्कालीन कैबिनेट मंत्री "हरकिशन लाल भगत" में तो आतंरिक होड़ मच गई की कौन ज्यादा हत्याएं करवाता है (जैसे उनको हत्याएं करवाने का इनाम मिलने वाला था)| इन तीनो नेताओं ने अपने गुर्गों को यहाँ तक कह दिया था की "एक पगड़ी लाने पर १००० रूपया और एक सरदार का घर जलने पर १०००० रूपया"| इन तीनो नेताओं को इन हत्यायों का इनाम भी मिला की ये लोग सालों तक केंद्रीय मंत्री रहे और दंगे के गवाहों को मौत के घाट उतरवाते रहे|

जो भी अगर ये कहता हुआ मिलता है की दिल्ली का ये सामूहिक नरसंहार सरकार के द्वारा प्रायोजित नहीं था तो एक घटना उन लोगो के लिए है की एक सिख जिसका नाम "अमर सिंह" था वो इस नरसंहार से बच गया| वो सिख बचा कैसे तो उसके हिन्दू पडोसी ने उसे अपने घर में शरण दिया और जब कत्लेआम मचाती हुई भीड़ अमर सिंह नाम के सिख को ढुंढते हुए पहुंची तो उस हिन्दू ने ये बोल दिया की अमर सिंह मर चूका है| 

पर उस कातिल भीड़ को इससे संतोष नहीं हुआ और वो अमर सिंह का मृत शरीर देखने की बात करने लगे तब उस हिन्दू ने कहा की उसके शरीर को और लोग उठा कर ले गए हैं| ये सुन कर उस समय तो भीड़ चली गई पर थोड़े समय में फिर पहुंची और उस हिन्दू को एक लिस्ट दिखाते हुए कहा की इस लिस्ट के मुताबिक अमर सिंह का मरा हुआ शरीर अभी तक किसी ने भी नहीं उठाया है| अब ऐसी लिस्ट बन कहाँ रही थी जिसमे चुन-चुन कर सिखों को मारा जा रहा था और उनके मरे हुए शरीर को किसको दिखाया जा रहा था और कौन बना रहा था वो लिस्ट| ये बात सोचने वाली है! लेकिन इस घटना से पता चल जाता है की ये सामूहिक नरसंहार कितने व्यवस्थित ढंग से चलाया जा रहा था|

जब इस महा नरसंहार की जांच की कमान CBI के आर० एस० चीमा को दिया गया तब चीमा जी ने जो बताया वो देख कर ये पूर्ण रूप से कहा जा सकता है की कांग्रेस नाम की सरकार उस समय एक आतंकवादी जैसा व्यव्हार कर रही थी और दिल्ली की पुलिस को अपने इशारे पर नचा रही थी| चीमा ने उस समय के एडिसनल जज जे० आर० आर्यन को बताया की "दिल्ली की पुलिस एक पूर्व-नियोजित तरीके से व्यव्हार कर रही थी दंगे के समय और दंगे पर अपनी ऑंखें बंद किये बैठी थी| उस नरसंहार के दौरान १५० दंगे की वारदातों के बारे में पुलिस को कम्प्लेन किया गया लेकिन पहली ५ वारदातें जो छोटी थीं और शुरुवात की थीं उन्हें ही एफ़० आ० आर० में लिखा गया और इसका किसी भी मीडिया में कोई उल्लेख नहीं है|"

पर हद तो तब हो गई जब इतने के बाद भी जो दाग नेताओं के ऊपर लगे थे और उनके खिलाफ कोर्ट में सुनवाई हो रही थी उसमे कोर्ट ने ऐसा साक्ष्य माँगा की सुन कर यही कहा जा सकता है की भारत की अदालतें वही फैसला सुनती हैं जो सरकार में बैठे लोग चाहते हैं| कोर्ट ने CBI से माँगा की जिन नेताओं पर आरोप लगे हैं उनके खिलाफ आपके पास क्या सुबूत हैं गवाहों के अलावा, कोई न्यूज़ पेपर की कटिंग, कोई भी मीडिया की खबर कुछ और लाइए| जब न्यूज़ पेपर में ही खबर में नाम आने से आरोप सिद्ध होता है तो छोटे लोगों को तो न्याय मिलने से रहा क्यूंकि उनके पास तो सिर्फ चंद गवाह होते हैं लेकिन पेपर की कटिंग नहीं होती है|


अब इस सामूहिक हत्याकांड के बारे में जितना लिखे उतना कम ही लगेगा क्युकी ये इतना जतन से जो करवाया गया था और आज भी इसमें बर्बाद लोग जब भारत की अदालत से त्रस्त हो और भारत छोड़ अमेरिका में शरण लिए उन लोगों ने अमेरिका में कांग्रेस के खिलाफ और इस नरसंहार के खिलाफ केस किया जिसकी सुनवाई आने वाली २७ जून २०१२ को हुआ| पर कांग्रेस का भांडपन तो देखिये कांग्रेस ने अमेरिका की सरकार से ये कहा की जो केस अमेरिका की अदालत में कांग्रेस के खिलाफ चल रहा है वो चुकी २५ साल पुराना है अतः इस केस को ख़ारिज कर दिया जाये|

इस केस को ख़ारिज करने के लिए देखिये कैसे कांग्रेस के सांसद मोतीलाल वोरा ने भांडों वाली दलील दी की, "कोई भी समन या कम्प्लेन इंडियन नेशनल कांग्रेस को नहीं मिला है अतः इस केस को ख़ारिज करें|"








इससे २ कदम आगे बढ़ कर इस वोरा ने ये कहा अपने एफिडेविड में कहा की इंडियन नेशनल कांग्रेस और इंडियन नेशनल ओवरसीज कांग्रेस दोनों अलग-अलग एंटिटी हैं और दोनों का कोई सम्बन्ध नहीं है क्यूंकि ये छोटा बच्चा वोरा का नहीं था।

नेशनल कांग्रेस के लीगल ऐडवाईजर गुरापत्वंत सिंह पन्नुन ने तो इस केस को ही बेकार और निराधार बता दिया|

इसमें हमारे गृह मंत्री पि० चिदंबरम २५ जून २०११ को १९८४ में हुए सिख नरसंहार के ऊपर बोलते हुए कहा की, "ये समय है की हम १९८४ की उस घटना को भूल एक नए भारत का निर्माण करें|" अब जरा कोई इस पर बोलेगा की ये क्या था क्यूंकि खुद तो ये लुंगी उठा-उठा कर गुजरात के २००२ के दंगे पर भौकते हुए दिख जाता है|

तो ये है इस खुनी कांग्रेस का दोहरा चरित्र की, "खुद करे तो रासलीला और कहीं किसी घटना का जवाब मिले तो वो वह्सीपना|"

वाह रे कांग्रेस तेरी महिमा अपरम्पार.....करती रह ऐसे ही नरसंहार||


वाह रे मीडिया इस फोटो को तो बहुत उछाला ताकि गुजरात का नाम ख़राब और मोदी को फंसाया जाये


लेकिन इस फोटो को दिखने की हिम्मत क्यूँ नहीं कर पाते हो तुम या खुद तुम्हारी छाती फटने लगती है।