26 Jun 2012

शेर हो उठो और दहाड़ दो तुम


क्यों भूल गए उन पूर्वजों के हुँकार को
क्या याद नहीं वो अत्याचार तुम्हे
ना भूलो उस तलवार के वार को
औरत ही थी जिसने खट्टे किए दांत थे
तुम तो वंसज हो महा राणा प्रताप के
स्वाभिमान की खातिर जिसने छानी
जंगलो और पत्थरों की खाक थी
खाई जिसने घास की रोटी
महलो का सुख छोड़ दिया
और उसको तुमने अपने खून
से निकल कर फेंक दिया
क्यों बनते हो तुम कायर इतना
याद करो पुरखों की कुर्बानियों को
सोते न रहो ऐ खूंखार शेर तुम
उठ कर मरो दहाड़ तुम
तुम शेर हो सदियों के
जिसका गुणगान हमेसा हुआ
आज बड़ी बात को ले कर भी
क्यूँ बने इतने अन्जान तुम
शेर हो उठो और दहाड़ दो तुम

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