13 May 2012

माँ


माँ 

क्या होती है, माँ 
पहले ९ महीने अपने पेट में बोझ उठाती है, माँ
2 साल अपने खून से हमें सींचती है, माँ
५ साल तक अपने छाती पर हमें ढ़ोती है, माँ
३० साल तक  हमारे हर नखरे उठाती है, माँ

हमारी हर खुशी को दिल से सोचती है, माँ 

हमारी हर चाहत दिल से पूरी करती है, माँ
अपने भूखी रह कर हमारा पेट भरती है, माँ
हाथ हमेसा हमें आशीर्वाद देने को उठाती है, माँ
दिल हमेसा हमारे लिए धड्काती है, माँ
पर हमारे जवान होते ही क्या बन जाती है, माँ
बीबी आने से पहले सबसे अच्छी होती है, माँ
बीबी आने के बाद सबसे ख़राब हो जाती है, माँ
एक  बोझ बन  जाती है, माँ
एक कबाड़ बन जाती है, माँ
एक बेकार की आया बन जाती है, माँ
स्टोर रूम की शोभा बन जाती है, माँ
पहले हमारे खाना खाने के बाद खाती थी, माँ
आज हमारे खाने के बाद जूठन खाती है, माँ
कल हमारे लिए सबकी झिडकन सुनती थी, माँ
आज बात-बात पर हमारी झिडकन सुनती है, माँ
कल हमारे लिए भूखी रहती थी, माँ
आज हमारे कारण भूखी रहती है, माँ
कल पुराने कपडे हमारे लिए पहनती थी, माँ
आज हमारे कारण पुराने कपडे पहनती है, माँ
सब कुछ क्यों सहती है, माँ
क्यों कुछ नहीं कहती है, माँ
क्यों अकेले रोती है, माँ 
इतने पर सामने क्यों हँसती है, माँ
क्यों अपनी आसूवो को हमेसा पीती है, माँ
क्यों सब जान कर अनजान  बनती है, माँ
आज हमसे मार खाती है, माँ
ऐसी क्यों होती है, माँ
हम ऐसे क्यों बदल जाते हैं, माँ
क्या हम पहले जैसे नहीं रह सकते, माँ


2 comments:

  1. Hamare liye to wahi rehti hai MAA lekin do auraton ke verchusv ki ladai mein Purush to pista hi hai, aur aauraton ki jung mein kabhi koi paat upar to kabhi koi paat neeche.

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  2. माँ तो वही रहती है लेकिन और औरतों एवं माँ में फर्क होता है...साथ ही अगर हम एक सही राह पर चलें तो कुछ भी गलत नहीं हो सकता और हमारी माँवों को ऐसी परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी

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